Monday, June 27, 2011

Five National illusion and Reality

पाँच राष्ट्रीय भ्रम और उनकी वास्तविकता
  1. भारत एक गरीब देश है
  2. भारत मे लगभग 5% लोग ही टैक्स भरते है
  3. सब लोग बेईमान है
  4. भ्रष्टाचार नही मिट सकता, भ्रष्टाचारी ही देश पर शासन करेंगें
  5. विदेशी पूंजी निवेश के बिना देश मे विकास एवं रोजगार सम्भव ही नहीं


भारत एक गरीब देश है ! कोरा झूठ ।

तथ्य: भारत दुनिया का सबसे ताकतवर एवं अमीर देश है। यह एक बहुत बडी सच्चाई है की दुनिया के अधिकांश विकसित देशो के लोग कमजोर है परन्तु वहा का नेत्रत्व कायर, बुजदिल एवं भ्रष्ट है तथा कानुन कमजोर है। भारत के स्थानिय निकायो, राज्य सरकारो एवं केन्द्र सरकार का कुल बजट 20 लाख करोड रुपये है। और यह 20 लाख करोड का बजट तो तब है जबकि देश मे चारो तरफ भ्रष्टाचार शिखर पर है। इस देश मे भ्रष्टाचार न हो तो भारत देश का कुल बजट 35-40 लाख करोड हो सकता है। आप ही सोचे आप ही निर्णय करे की क्या एक गरीब देश का इतना बजट हो सकता है। जानबुझकर देश के भ्रष्ट एवं बेईमान नेतओ ने देश को गरीब बनाना हुआ है। देश से यदि भ्रष्टाचार मिट जाए तो देश मे एक भी व्यक्ति बेरोजगार व गरीब नही रह सकता। एक षड्यंत्र के तहत लोगो को बेरोजगार गरीब एवं अनपढ बनाया हुआ है। जिससे की भ्रष्ट शासक देश के गरीब, बेरोजगार, अनपढ एवं अशिक्षित लोगो पर मनमाने ढंग से शासन कर सके अथवा लोकतन्त्र के नाम पर तानाशाही कर सके।


भारत मे लगभग 5% लोग ही टैक्स भरते है! सफेद झूठ्।

वास्तविकता : भारत मे 100% लोग टैक्स देते है। जो भी देशवासी तन पर दो कपडे ओढता है या साल मे एक दो बार साबून प्रयोग मे लाता है अथवा जूते चप्पल पहनता है अथवा बाजार मे, दुकान पर जाकर वह जीवन की जरुरी प्रयोग की वस्तू आटा, नमक, टूथपेस्ट, तेल, मसाले, कागज, कलम, लोहा, सीमेंट आदि खरीदता है, तो इन सब वस्तुओ पर वह वैट/एक्साइज आदि ड्यूटी भरकर ही दुकानदार से क्रय करता है। एक आम आदमी भी स्टैम्प ड्यूटी, पीने के पानी पर टैक्स, ग्रहकर, सीवेज टैक्स, रोड टैक्स, सर्विस टैक्स, सेल टैक्स अर्थात किसी न किसी प्रकार का टैक्स जीवन भर जरुर देता है, तो क्या यह सफेद झुठ नहीं है की मात्र पाँच प्रतिशत लोग ही टैक्स भरते है! ये झूठा भ्रम/प्रचार एक षड्यंत्र के तहत इसलिए किया जाता है की देश के बेईमान लोग यदि लुटे तो कोई आवाज ना उठाये। उनकी आवाज दबाने के लिए ही यह झूठ बोला जाता है, ताकि जब कोई इन भ्रष्ट बेईमानो से टैक्स मनी के रुप मे दिये गये टैक्स का हिसाब माँगे तो ये भ्रष्ट लोग कह सके की तुम तो टैक्स ही नही देते, तुम हिसाब मांगने वाले कोन होते हो ?


पूँजीवादी समाज मेँ गरीब का कोई नहीँ होता.... और अगर सरकारी नीतियाँ भी उल्टी होँ तो कोई भी देश् गरीबोँ को मरने के लिये मजबूर करके विकसित देशोँ मेँ अपना नाम दर्ज करा सकता है.... भारत भी इसी रास्ते पे है....... 
(Every day, almost 16,000 children die from hunger-related causes. That's one child every five seconds.
There were 1.4 billion people in extreme poverty in 2005. The World Bank estimates that the spike in global food prices in 2008, followed by the global economic recession in 2009 and 2010 has pushed between 100-150 million people into poverty.)

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